My Write ups

 

                                                                                          


Some lines written by me..


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पिता

पिता ऐसा इंसान जो अपने लिए नहीं जीता । 
अपनी परवाह किए बिना सुबह से निकलता है, 
और थोड़ा थोड़ा करके रोज धूप में पिघलता है । 
घर आकर सब अपनी थकान भूल जाता है , 
सोते हुए बच्चों को फिर थपथपी लगाता है । 
गर्मी के दिन हो या हो ठंड की रातें, 
पत्नी, बच्चों के लिए पहले सुविधा जुड़ाता है । 
बच्चों की पढ़ाई के लिए महंगे लोन वो उठाता है, 
जमीन बेचकर फिर वो लोन को चुकाता है । 
इतना करते हुए भी अंत पास कोई रह नहीं जाता है, 
फिर भी बच्चों को खुश देखकर खुश वो हो जाता है, 
कुछ भी हो जाए वो किसी से आस नहीं लगाता है । 
दूर हो गए बच्चों से वो दुख नहीं जताता है, 
हसते हुए वो सबको फलने- फूलने का आशीर्वाद दे जाता हैं ।
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रुके हुए से इन दिनों में जिंदगी चल तो रही हैं,
एक दूसरे के लिए लोगों की सोच बदल तो रही हैं।
सीमित संसाधनों में भी जीवन की गाड़ी चल तो रही हैं,
खाली मंदिरों में भी घंटियों की आवाज गूंज तो रही हैं ।

मोबाइल के इस युग में फिर से दिलो की डोर जुड़ तो रही है,
इंटरनेट के सहारे कटते दिनों में रिश्तों की मिठास घुल तो रही हैं।
होटल में खाने वालो का पेट  घर की रोटी भर तो रही हैं,
बदली हवा की लहरे कुछ अच्छे संकेत दे तो रही हैं।
आज फिर मेरे कीबोर्ड से.....

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कुछ पंक्तियां आज के परिदृश्य को देखते हुए

समाज में कैसा छाया ये अंधियारा,
कुछ खाने को तरसते तो कोई शराब पीने को,
शिक्षा हो गई ऑनलाइन और शराब के लिए लग रही लाइन ।
शिक्षा हो गई गैरजरूरी और शराब हो गई जरूरी,
किसी को  खाना ना मिला किसी की हर इच्छा हो गई पूरी ।

आज फिर मेरे keyboard se.....

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वो कॉलेज के दिन

वो कॉलेज के दिन

बेग में दो कॉपी और कोने में पड़ी एक टॉफी,

वो आईकार्ड का भूलना और पूरे कॉलेज में फालतू घूमना,

कैंटीन के समोसे और कोंट्री किए हुए पैसे,

वो जूनियर्स को ताकना और खिड़की से झाकना,

एग्जाम की तैयारी और लड़कियों की होशियारी,

वो लेक्चर्स को झेलना और टीचर्स को नोट्स के लिए घेरना,

वो कॉलेज का ऑफिस और फीस का नोटिस,

दोस्तो से लड़ना फिर उन्ही के लिए किसी से झगड़ना,

वो प्रेजेंटेशन के लिए फॉर्मल्स में आना और थोड़ा सा घबराना,

असाइनमेंट कि डेट्स और वो क्लासमेट्स!

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दोस्त मित्र सखा

जीवन में फैलाए जो इत्र कहते है उसे मित्र

जीवन का हर पहलू जिसके सामने रखा कहते हैं उसे सखा

जीवन है जिसकी वजह से खुशियों से ओत प्रोत कहते है उसे दोस्त

दोस्त, मित्र कहो या सखा नाम में क्या है रखा

जिस समस्या का नहीं है कोई हल 

उसको भी कर दे जो विफल

मन हो जिसका निष्छल और निस्वार्थ

कृष्ण कहते थे जिसे पार्थ

हमेशा सही रास्ता तो नहीं हो दिखाता पर किसी भी रास्ते पर साथ चल जाता!

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राम आ रहे है तो राम राज भी आएगा,

राम आ रहे है तो राम राज भी आएगा,

रावण का वध पहले भी हुआ था और

अब फिर होगा,

फर्क इतना है पहले रावण एक ही था

पर अब तो रावण ही रावण है,

रावण तो फिर भी महान ज्ञानी था

पर अब तो ज्ञान ही कहा है,

रावण ने तो सीता की पवित्रता को बनाए रखा था

पर अब तो घर की बेटियां घर में भी सुरक्षित नहीं है।


घबराओ मत राम आ रहे है तो राम राज भी आएगा,

राम आ रहे है तो हनुमान भी आयेंगे,

लोगो के दिलों की घमंड की लंका फिर जलाएंगे,

फिर वही भाईचारा वहीं दिन लौट कर आयेंगे,

रामसेतु तो नहीं पर रिश्तों के बीच दूरियों के बीच

सेतु बनाएंगे,

शायद ये कोरोना तो एक बहाना था लोगो को

अपनों के पास लाने का,

क्योंकि दीवाली तो परिवार के साथ

मिलकर ही तो बनाएँगे,

राम आ रहे है तो राम राज भी आएगा।

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